जानकर भी अनजान बनना ,
देखकर फिर फेर लेना नजरें ,
अजब ठहरी, सरेआम कत्ल करने की अदा उनकी !
जुनून ए वफा आँखों में दिखता है ,
अँधेरे में भी आहट सांसों कि जानते हैं,
उफ़,दिन के उजाले में बेवफा दिखने की अदा उनकी !
जाने क्यूँ दिल नफरत भी नहीं करता ,
नाराजगी कैसी उल्फत की राह में,
है गजब ,नजरों से वादा, लब न खोलने की अदा उनकी !
कहते हैं हर एक बात नजरों से अपनी ,
खुशियों को दामन में डाल मेरे ,
ओह ,गमों को भीतर ही खुद में समेटने की अदा उनकी !
अहसास क्यूँकर छिपकर जीते है जिंदगानी ,
पीकर घूंट गम के दिखाते हैं रवानी ,
आह ,जलाकर खुद को खुद में दफनाने की अदा उनकी !
--विजयलक्ष्मी
देखकर फिर फेर लेना नजरें ,
अजब ठहरी, सरेआम कत्ल करने की अदा उनकी !
जुनून ए वफा आँखों में दिखता है ,
अँधेरे में भी आहट सांसों कि जानते हैं,
उफ़,दिन के उजाले में बेवफा दिखने की अदा उनकी !
जाने क्यूँ दिल नफरत भी नहीं करता ,
नाराजगी कैसी उल्फत की राह में,
है गजब ,नजरों से वादा, लब न खोलने की अदा उनकी !
कहते हैं हर एक बात नजरों से अपनी ,
खुशियों को दामन में डाल मेरे ,
ओह ,गमों को भीतर ही खुद में समेटने की अदा उनकी !
अहसास क्यूँकर छिपकर जीते है जिंदगानी ,
पीकर घूंट गम के दिखाते हैं रवानी ,
आह ,जलाकर खुद को खुद में दफनाने की अदा उनकी !
--विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment