Monday, 7 October 2013

शिद्दत ए अहसास यही कहता है सामने रहो अब तो

करे क्या दस्तूर ए वफा निभा ही जायेंगे हम तो ,
मौत रोकेगी रास्ता एक बार दगा भी दे आयेंगे अब तो .

रूठने मनाने के मौसम कभी न आते है न जाते हैं 

बेमौसम ही बरसात बादल भी बरस जाते है अब तो .

आइना कहता है तुम खामोश या बोलो कुछ भी ,
शिद्दत ए अहसास यही कहता है सामने रहो अब तो .- विजयलक्ष्मी 

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