करे क्या दस्तूर ए वफा निभा ही जायेंगे हम तो ,
मौत रोकेगी रास्ता एक बार दगा भी दे आयेंगे अब तो .
रूठने मनाने के मौसम कभी न आते है न जाते हैं
बेमौसम ही बरसात बादल भी बरस जाते है अब तो .
आइना कहता है तुम खामोश या बोलो कुछ भी ,
शिद्दत ए अहसास यही कहता है सामने रहो अब तो .- विजयलक्ष्मी
मौत रोकेगी रास्ता एक बार दगा भी दे आयेंगे अब तो .
रूठने मनाने के मौसम कभी न आते है न जाते हैं
बेमौसम ही बरसात बादल भी बरस जाते है अब तो .
आइना कहता है तुम खामोश या बोलो कुछ भी ,
शिद्दत ए अहसास यही कहता है सामने रहो अब तो .- विजयलक्ष्मी
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