Saturday, 19 October 2013

शरद पूर्णिमा


शरद पूर्णिमा 
सम्पूर्ण प्रेम 
पावन अवसर 
मन 
बना है ब्रजधाम 
राधा के अराध्य 

मनमोहन
हे घनकेशी
हे घनश्याम
आ जाओ इस याम
खिला चन्दमा
सोलह कलाओ संग
रस बरसाओ मन आंगन में
और रचाओ रास
गोपी मन
करे पुकार
बजा बांसुरी
मधुर मनोरम
यमुना तट का करो श्रृंगार
महिमा अपरम्पार
सांवरे
अब तो दर्श दिखाओ
नैनो में तस्वीर बसी
मन वीणा पर सरगम गूंजे
चातक बन करें पुकार
अब सम्मुख आ जाओ
मेरे
कृष्णमुरार
मन मन्दिर को
पावन
कर जाओ एकबार .-- विजयलक्ष्मी




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