Tuesday 1 October 2013

नजर ख्वाब की फितरत बता गयी

वादा ए लुत्फ़ में जांनिसारी ख्वाबों की ,
जिन्दगी को रूमानी बना गयी ..

ख्वाब कोई तन्हा नहीं है तुम्हारा मुझसे 
तुम्हारी हर अदाकारी बता गयी .

वाबस्ता हुए गुल खूंरेज हुए थे क्यूँ भला
तलवार दुधारी थी वो जता गयी ..

जिस दुनिया पे मालिकाना हक रखते हो
गुजरी रात वही बात बता गयी ..

इन्साफ की तराजू लिए खड़े रहते हो तुम
नजर ख्वाब की फितरत बता गयी .- विजयलक्ष्मी 

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