दर्द ए बयार न देख अब झोकें सा मिल ,
काँटें बहुत है चमन में तू गुलों सा खिल .
रंग ए झिलमिल सी ख़ूबसूरती नजर में ,
वो बुत संगमरमरी से, किरदारों से मिल.
न आंसूं बहे ,न रुके ही पलक पर ढलके ,
डूबते उतरते नजर के सितारों से मिल .
इन्तजार ए वफा तो आज भी है मगर,
सूरज के बाद छिटके,न अंधेरों से मिल .
सितारा गगन का फलक पर बसा है अब ,
मिलना है तो सुन , जमीं पे उतर के मिल.....विजयलक्ष्मी
काँटें बहुत है चमन में तू गुलों सा खिल .
रंग ए झिलमिल सी ख़ूबसूरती नजर में ,
वो बुत संगमरमरी से, किरदारों से मिल.
न आंसूं बहे ,न रुके ही पलक पर ढलके ,
डूबते उतरते नजर के सितारों से मिल .
इन्तजार ए वफा तो आज भी है मगर,
सूरज के बाद छिटके,न अंधेरों से मिल .
सितारा गगन का फलक पर बसा है अब ,
मिलना है तो सुन , जमीं पे उतर के मिल.....विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment