हमे इंतजार मौत का,उन्हें लुत्फ़ किश्तों में ,
इंसान ढूँढा किये ,गिनती उनकी फरिश्तो में
रूह से मुलाकात रूबरू हुए तस्वीर दीवारों में
महाजनी पक्की है मूल मिलता है किश्तों में
इन्तजार किया बरसों दौर ए अँधेरे बीतते है
कराते है मगर.. दीदार भी हमे तो किश्तों में
तस्वीर देख, नजर भी चस्पा गयी तस्वीर पे
करते है दीदार ए तसव्वुर भी अब किश्तों में
बरसों बरस बीते रंग ए मुहब्बत के ख्वाब में
नजरे इनायत हुयी जब से जिन्दा है किश्तों में .- विजयलक्ष्मी
इंसान ढूँढा किये ,गिनती उनकी फरिश्तो में
रूह से मुलाकात रूबरू हुए तस्वीर दीवारों में
महाजनी पक्की है मूल मिलता है किश्तों में
इन्तजार किया बरसों दौर ए अँधेरे बीतते है
कराते है मगर.. दीदार भी हमे तो किश्तों में
तस्वीर देख, नजर भी चस्पा गयी तस्वीर पे
करते है दीदार ए तसव्वुर भी अब किश्तों में
बरसों बरस बीते रंग ए मुहब्बत के ख्वाब में
नजरे इनायत हुयी जब से जिन्दा है किश्तों में .- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment