Wednesday, 2 October 2013

किश्तों में ...

हमे इंतजार मौत का,उन्हें लुत्फ़ किश्तों में ,
इंसान ढूँढा किये ,गिनती उनकी फरिश्तो में 

रूह से मुलाकात रूबरू हुए तस्वीर दीवारों में 
महाजनी पक्की है मूल मिलता है किश्तों में

इन्तजार किया बरसों दौर ए अँधेरे बीतते है 
कराते है मगर.. दीदार भी हमे तो किश्तों में 

तस्वीर देख, नजर भी चस्पा गयी तस्वीर पे
करते है दीदार ए तसव्वुर भी अब किश्तों में

बरसों बरस बीते रंग ए मुहब्बत के ख्वाब में
नजरे इनायत हुयी जब से जिन्दा है किश्तों में .- विजयलक्ष्मी 

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