दर्द ए शिकन क्यूँ हो भला जब गुल ही गुल नजर में हो ,
कट चलेगा रास्ता भी गर.. चल पड़े सफर में हो
होगी बिवाई पैरो में अपने और छाले भी मिलेंगे
रुकता कब कोई सफर है राह में गम भी मिलेंगे
होती ख़ुशी कितनी गुना जब मंजिले नजर में हो
कट चलेगा रास्ता भी गर.. चल पड़े सफर में हो |
हर सफर देता चला कुछ निशानियाँ अपनी हमे
नफरते भी पाई हमने , मिली मुहब्बत भी गले
रुसवाइयों का रंज क्यूँ हो गर ख़ुशी नजर में हो
कट चलेगा रास्ता भी गर ..चल पड़े सफर में हो |
हौसलों के पंख लेकर उड़ चले हैं पिंजरे के पंछी
लहुलुहान राहे कराहट , मुस्कुराहट लिए जिन्दगी
बन्दगी हो दिल में सच्ची और खुदाई नजर में हो ..
कट चलेगा रास्ता भी गर ..चल पड़े सफर में हो |..- विजयलक्ष्मी
कट चलेगा रास्ता भी गर.. चल पड़े सफर में हो
होगी बिवाई पैरो में अपने और छाले भी मिलेंगे
रुकता कब कोई सफर है राह में गम भी मिलेंगे
होती ख़ुशी कितनी गुना जब मंजिले नजर में हो
कट चलेगा रास्ता भी गर.. चल पड़े सफर में हो |
हर सफर देता चला कुछ निशानियाँ अपनी हमे
नफरते भी पाई हमने , मिली मुहब्बत भी गले
रुसवाइयों का रंज क्यूँ हो गर ख़ुशी नजर में हो
कट चलेगा रास्ता भी गर ..चल पड़े सफर में हो |
हौसलों के पंख लेकर उड़ चले हैं पिंजरे के पंछी
लहुलुहान राहे कराहट , मुस्कुराहट लिए जिन्दगी
बन्दगी हो दिल में सच्ची और खुदाई नजर में हो ..
कट चलेगा रास्ता भी गर ..चल पड़े सफर में हो |..- विजयलक्ष्मी
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