Thursday, 3 October 2013

मेरे हौसले हैं बहुत बड़े बंदूक लिए रहो खड़े



मेरे हौसले हैं बहुत बड़े बंदूक लिए रहो खड़े 

ये टुकड़ा नहीं है सबक है तुम्हारे लिए 


मरने से नहीं डरता ..मारता हूँ जिन्दगी के लिए 


जिन्दा रहने की ख्वाहिश है फिरता हूँ आग दिल में लिए 


मेरी उम्र पर न जाना ..छूटा नहीं है अंदाज पुराना 

देखना तो देख जिन्दा हूँ जिन्दगी का हुनर हूँ लिए 


उस दिन ..तक ..


तुम्हे सबक सिखा दूंगा ..जिन्दगी को जीने का बुलंद हौसला दिखा दूंगा 


यही सबक आने वाली पीढ़ियों को सिखा दूंगा 


भूख और वजूद के लिए आग सब दिलों में लगा दूंगा 


उस दिन ...तक ..


जिन्दा हूँ और जिन्दा ही रहूँगा ..


याद रखना मैं ..मरके भी नहीं मरूंगा ..


मरने का सबक सिखा चुका हूँ जिन्दगी के लिए 


मेरे हौसले हैं बहुत बड़े बंदूक लिए रहो खड़े 


ये टुकड़ा नहीं है सबक है तुम्हारे लिए 


मरने से नहीं डरता ..मारता हूँ जिन्दगी के लिए.- विजयलक्ष्मी 

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