गहन तिमिर और सूर्य का प्रकाश
समय की पीठ पर सवार आस
खो रही है वजूद और अंतिम यात्रा की ओर
कुछ व्यर्थ सा समय और मृत्यु की चौखट का दीप करता सत्कार
हडबडाहट और आहट रक्तरंजित सी स्वप्निल वेदनाओं का संचार
आत्मीय सी सम्वेदना ...प्रश्नों की बौछार
म्रत्यु ....जीत हार व्यर्थ संवेदित प्रहार झुलसकर बिखरी देह
चौराहे खड़ा था नेह ..उसपर काली लम्बी रात
सुबह की धुंध ...ओस की बरसात ...और अंत की और बढ़ते कदम
एक सूरज का आगमन ..चन्दमा का विर्सजन ...यही सृजन है शायद !!
संचरित प्रकाश की उम्मीद में पथिक ..
एक छोर पर समय खड़ा रहा ...दूसरे पर जीवन
और चल पड़े थे हम लिए यक्ष प्रश्न बाँध जीवन डोर से
काश ...उजियारा हो जाता ,
किन्तु जल बरसता ही मिला ..और बादल ढीठ से हटे ही नहीं .- विजयलक्ष्मी
समय की पीठ पर सवार आस
खो रही है वजूद और अंतिम यात्रा की ओर
कुछ व्यर्थ सा समय और मृत्यु की चौखट का दीप करता सत्कार
हडबडाहट और आहट रक्तरंजित सी स्वप्निल वेदनाओं का संचार
आत्मीय सी सम्वेदना ...प्रश्नों की बौछार
म्रत्यु ....जीत हार व्यर्थ संवेदित प्रहार झुलसकर बिखरी देह
चौराहे खड़ा था नेह ..उसपर काली लम्बी रात
सुबह की धुंध ...ओस की बरसात ...और अंत की और बढ़ते कदम
एक सूरज का आगमन ..चन्दमा का विर्सजन ...यही सृजन है शायद !!
संचरित प्रकाश की उम्मीद में पथिक ..
एक छोर पर समय खड़ा रहा ...दूसरे पर जीवन
और चल पड़े थे हम लिए यक्ष प्रश्न बाँध जीवन डोर से
काश ...उजियारा हो जाता ,
किन्तु जल बरसता ही मिला ..और बादल ढीठ से हटे ही नहीं .- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment