कलम से..
Tuesday, 5 November 2013
जिन्दा रहूँगा इस जमी पर दरख्त हूँ
जिन्दा रहूँगा इस जमी पर दरख्त हूँ सूखा हुआ हूँ तो क्या ,
जिन्दगी का वाहक हूँ बीज रोप दिया है , मर रहा हूँ तो क्या .- विजयलक्ष्मी
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