कहता है अब ,..
गम की राहों से जब से गुजरने लगे हों ,
हर कदम अब तुम निखरने लगे हों .
हमने तो गम खाए है सीने पर जालिम ,
अब जुगनूओं की बात करने लगे हों .
जब रौशनी आई नजर दूर से देखो तो ,
अपनी ही हर बात से मुकरने लगे हों.
अंधेरों में छोड़ा है आज उसने हमको ही ,
कहता है अब ,हद से गुजरने लगे हों .
- विजयलक्ष्मी
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