Wednesday 29 August 2012

हे प्रभु !सत्य टूटने लगा है क्यूँ ?




* हे प्रभो !सत्य टूटने लगा है क्यूँ ?

तल्खी और दर्द तो सही था मगर डूबने लगा है क्यूँ ?
अब तो सुन ले एक प्रार्थना मेरी ....
मेरा खुदा मुझसे रूठ गया और तू भी छूट सा गया क्यूँ ?
दर पे तेरे आया हूँ ---मुझे मौत की दरकार है...
जमाने में गुजर ही 
नहीं मेरा अब ....

मुझे सच्चाई से दूर झूठ की ओर ले चलो |

आजकल इसी का बोलबाला है |
इसके बिना गुज़ारा नहीं इस दुनिया में |-विजयलक्ष्मी 
                                                    ..सहयोग भावेश शर्मा जी 

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