कन्हाई मोहे दरस दिखा जा रे ..
बिन तेरे राधा बावरी हों गयी ..
अब तो लौट के आजा रे ..
कन्हाई मोहे दरस दिखा जा रे..
भोग धरा माखन मिश्री
आकर भोग लगा जा रे
कन्हाई मोहे दरस दिखा जा रे ..
मुझसे मुझको छीन रही जो ..
फिर वही तान सुना जा रे
कन्हाई मोहे दरस दिखा जा रे .- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment