हर शिकायत से ये तय हों रहा है सुन ,
हम अभी तलक तुझमे बाकी है कहीं .
जिंदगी और मौत दिखावे की दुनिया,
इन्ही के दरमियाँ वजूद बाकी है कहीं .
अबाबील सी आवाजें कुछ कमतर हुयी ,
अहसास मिटे या विश्वास बाकी है कहीं .
उल्टा ही लटकना है, सम्वेदना सुनो ,
हम अभी तलक तुझमे बाकी है कहीं .
जिंदगी और मौत दिखावे की दुनिया,
इन्ही के दरमियाँ वजूद बाकी है कहीं .
अबाबील सी आवाजें कुछ कमतर हुयी ,
अहसास मिटे या विश्वास बाकी है कहीं .
उल्टा ही लटकना है, सम्वेदना सुनो ,
एक अहसास आज तलक बाकी है कहीं .
सूरज सो गया ,चाँद खो गया जाने क्यूँ ,
तारों को तो उम्मीद बहुत बाकी है कहीं .
मौसम बदलने लगा ,क्यूँ चमन में गुल ?
महक ,निकहत ए गुल अभी बाकी है कहीं.-- विजयलक्ष्मी
सूरज सो गया ,चाँद खो गया जाने क्यूँ ,
तारों को तो उम्मीद बहुत बाकी है कहीं .
मौसम बदलने लगा ,क्यूँ चमन में गुल ?
महक ,निकहत ए गुल अभी बाकी है कहीं.-- विजयलक्ष्मी
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