Sunday, 5 August 2012

यादों को हमने ..












यादों को हमने मोती बना कर सहेज रखा है ,

इसी खातिर खुद को यूँ भी सीप बना रखा हैं ..
जुनूं ए वफ़ा वक्त वक्त पर दिख ही जाता है ,
अहसास ए आइना भी हमने पत्थर बना रखा है ..
बारिश से हमे स्वाति बूँद ही चाहिए इसीखातिर,
पलक पर ओस सी जिंदगी को समन्दर बना रखा है .- विजयलक्ष्मी

1 comment:

  1. मुझे तो ये सीप नहीं आपकी आखे जान पड़ती है ....और जितनी सुंदर आपकी कलम है उससे कही ज्यादा आखे सजीव लगती है -अमिताभ

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