यादों को हमने ..
यादों को हमने मोती बना कर सहेज रखा है ,
इसी खातिर खुद को यूँ भी सीप बना रखा हैं ..
जुनूं ए वफ़ा वक्त वक्त पर दिख ही जाता है ,
अहसास ए आइना भी हमने पत्थर बना रखा है ..
बारिश से हमे स्वाति बूँद ही चाहिए इसीखातिर,
पलक पर ओस सी जिंदगी को समन्दर बना रखा है .- विजयलक्ष्मी
मुझे तो ये सीप नहीं आपकी आखे जान पड़ती है ....और जितनी सुंदर आपकी कलम है उससे कही ज्यादा आखे सजीव लगती है -अमिताभ
ReplyDelete