Tuesday, 1 April 2014

" सार्थकता होती तो मिलती अहसास में ही कहीं ,"

सार्थकता होती तो मिलती अहसास में ही कहीं ,
मर्म समझा ही नहीं.. बहता रहा दर्द का दरिया.
मसीहा होकर जो दर्द नहीं समझा ,मसीहा कैसा 
हम गरीबों के अहसास में बहता है दर्द का दरिया .-- विजयलक्ष्मी

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