"संजय बारु का बारूद ,पलीता लगा गये पारीख ,
चर्चा गर्म अखबारी हुई ,जनता लगाएगी तारीख़ .
बंद कली सा चटखने लगेगा मनमोहन का मौन
कौन शातिर कौन मासूम,जनता लगाएगी तारीख .
मरता नहीं कोई भूख से थी डॉक्टर की यही रिपोर्ट .
आंतें सूखी हैं लाश की ..लिख ,पड़ जायेगी तारीख़
नजर की कमजोरी से दिमागी जनाजे उठ चले थे
सत्य खामोशी से मरा, दुनिया पा जाएगी तारीख .
सियासती राह भी झूठ संग खड़ी मिली दर कदम
मौत की बिसात पर ,,जिन्दगी पा जाएगी तारीख."-- विजयलक्ष्मी
चर्चा गर्म अखबारी हुई ,जनता लगाएगी तारीख़ .
बंद कली सा चटखने लगेगा मनमोहन का मौन
कौन शातिर कौन मासूम,जनता लगाएगी तारीख .
मरता नहीं कोई भूख से थी डॉक्टर की यही रिपोर्ट .
आंतें सूखी हैं लाश की ..लिख ,पड़ जायेगी तारीख़
नजर की कमजोरी से दिमागी जनाजे उठ चले थे
सत्य खामोशी से मरा, दुनिया पा जाएगी तारीख .
सियासती राह भी झूठ संग खड़ी मिली दर कदम
मौत की बिसात पर ,,जिन्दगी पा जाएगी तारीख."-- विजयलक्ष्मी
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