"यारों, चंद बातो से हर इंसान त्रस्त है ,
जनता है रिश्वत गलत है मगर भ्रष्ट है .
रोटी पूरी नहीं पड़ी होगी इमानदारी में
रोजगार के बाद भी उसे मिलता कष्ट है
सभी को मालूम है दर्द बिछड़ने का भी
मगर मुडकर नहीं देखता और मस्त है .
कन्या कत्ल करता है औरत के पेट में
लालच ने दहेज-दानव किया जबर्दस्त है
कालाबाजारी गोरखधंधे फलेफूले हैं खूब
देखो स्मगलिग़ पे सियासती वरदहस्त है "--- विजयलक्ष्मी
जनता है रिश्वत गलत है मगर भ्रष्ट है .
रोटी पूरी नहीं पड़ी होगी इमानदारी में
रोजगार के बाद भी उसे मिलता कष्ट है
सभी को मालूम है दर्द बिछड़ने का भी
मगर मुडकर नहीं देखता और मस्त है .
कन्या कत्ल करता है औरत के पेट में
लालच ने दहेज-दानव किया जबर्दस्त है
कालाबाजारी गोरखधंधे फलेफूले हैं खूब
देखो स्मगलिग़ पे सियासती वरदहस्त है "--- विजयलक्ष्मी
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