बेच रहा है जो देश को ,
आओ,उसे बेदखल करे
सत्य की राह पर चल ,
बता क्यूँ पैदा खलल करे
लो परीक्षा की घड़ी आई है ,
न हो ,अब कोई नकल करे
तोड़ दो ख़ामोशी चीख से ,
मुस्कुराहट न विकल करे
शब्द शब्द लिख ह्रदय से ,
मिल कलम को सफल करे
तस्वीर अहसास से बना ,
जो रंग भरे सब असल भरे.- विजयलक्ष्मी
आओ,उसे बेदखल करे
सत्य की राह पर चल ,
बता क्यूँ पैदा खलल करे
लो परीक्षा की घड़ी आई है ,
न हो ,अब कोई नकल करे
तोड़ दो ख़ामोशी चीख से ,
मुस्कुराहट न विकल करे
शब्द शब्द लिख ह्रदय से ,
मिल कलम को सफल करे
तस्वीर अहसास से बना ,
जो रंग भरे सब असल भरे.- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment