Saturday, 4 October 2014

"भय बिन होय न प्रीत ".

"गाँधी की हत्या उनके विचार प्रचारक कर बैठे 
ज्ञान की हत्या विभीषण उन्मूलक कर बैठे 
सहोदर सहोदर दुनिया में आतंक की दुनिया रच बैठे 
कारण कोई भी हो हथियार बंद लहू से ज्यादा सने जो भी ...
वोही सबके भगवान बन बैठे ..
पूजित है समाज में ...हर रीत नई कर बैठे ,
तुलसी तुम सच कह गये बस इत्ती सी बात ...
"भय बिन होय न प्रीत "..इसीलिए निगोड़ी सरकार रहती सबको लठियात
"--- विजयलक्ष्मी 

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