" ताजमहल तुम्हे देता होगा पैगाम ए मुहब्बत
मुझे तो कब्र ही नजर आती है इंसानियत की ||
आसमान में अटकी हुई दो रोटियां लुभाती है
देखली किस्मत से किस्सागोई रूमानियत की ||
उडती पतंग मुस्कुराहट लाती है चेहरों पर सदा
उलझ अटकी फटी रंगत डोर मशरूफियत की ||
दर्द ए निगार निगाह बख्शी ख्वाब ओ अलम यूँ
मचे शोर दैर ओ हरम देहलीज महरुमियत(1) की ||
शिफत होती गर हुनरमंदी की करीने से दिखती
फजल ठहरा तौर ए राह ख्वाब ए रूहानियत की ||"
----- विजयलक्ष्मी
(1) ----> . the tiniest chance, its only purpose is to glorify the meaning of human existence.
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