ए जिंदगी चल वक्त हों चला ,
डूबती उतरती है कश्ती नदी में ||
डूबती उतरती है कश्ती नदी में ||
बहता है जो बीच धारा सा बनके ,
लहरों का उठना गिरना नदी में||
लहरों का उठना गिरना नदी में||
बहुत प्यास है समन्दर की देखो,
यादों का झरना मिलता नदी में ||
यादों का झरना मिलता नदी में ||
खिलते गुलों सा तसव्वुर को देखा ,
कमल भी देखा खिलता नदी में ||
कमल भी देखा खिलता नदी में ||
बचकर भला कैसे पार हम उतरते,
पतवार छूटी, ख्वाब बहता नदी में|| .....विजयलक्ष्मी
पतवार छूटी, ख्वाब बहता नदी में|| .....विजयलक्ष्मी
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