कुछ खो गयी लिपियाँ उनके निशान बाकी हैं ,
कुछ भाषाए ऐसी भी जिन्हें सीखना बाक़ी है .-- विजयलक्ष्मी
आज की हकीकत ,या शब्दों का फेर है ,
समझे न समझे "आप " के आगे ढेर है .-- विजयलक्ष्मी
बदला मौसम मोहसीकी बदलने लगी आपकी ,
देखते रहिये सीरत बदलती है या सूरत "आप" की .-- विजयलक्ष्मी
शुभकामना मिलना ढेर सी और खुद का ढेर हो जाना ,
राजनीती के जलवे चीखे गलत समझ का फेर हो जाना .-- विजयलक्ष्मी
लिख गया दिल पर तो कभी मिट न पायेगा ,
जिन्दगी भर रहेगा साथ और साथ ही जाएगा .-- विजयलक्ष्मी
टूटकर बिखरे तो क्या खुशबू है वो महकेगी ,
बसन्ती बयार बहेगी जब कलिया चटकेगी .--विजयलक्ष्मी
कुछ भाषाए ऐसी भी जिन्हें सीखना बाक़ी है .-- विजयलक्ष्मी
आज की हकीकत ,या शब्दों का फेर है ,
समझे न समझे "आप " के आगे ढेर है .-- विजयलक्ष्मी
बदला मौसम मोहसीकी बदलने लगी आपकी ,
देखते रहिये सीरत बदलती है या सूरत "आप" की .-- विजयलक्ष्मी
शुभकामना मिलना ढेर सी और खुद का ढेर हो जाना ,
राजनीती के जलवे चीखे गलत समझ का फेर हो जाना .-- विजयलक्ष्मी
लिख गया दिल पर तो कभी मिट न पायेगा ,
जिन्दगी भर रहेगा साथ और साथ ही जाएगा .-- विजयलक्ष्मी
टूटकर बिखरे तो क्या खुशबू है वो महकेगी ,
बसन्ती बयार बहेगी जब कलिया चटकेगी .--विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment