Saturday, 4 January 2014

"मंगलमय हार्दिक शुभकामनाये.. तुम्हारे लिए ही भेज रही हूँ ."

समय की एक और छलांग ,
बढ़ता हुआ अनुभव 
गुजरता हुआ समय का परिसीमन 
और मैं ...झूठ ..बिलकुल झूठ 
बांध दिया समय को हमने ही गिनती में 
समय जब नहीं बंध पाया किसी से 
खुद को ,अपने साथियों को कुछ खुश करने के लिए
खुद को और आगे ले जाने के लिए
समय को बांध दिया हमने ..
हाँ बदल रहा है साल ..और बढ़ रहा है अपनापन
एक मुस्कुराहट आती है ..शुभकामनाये मिलती है जब
एक ख़ुशी होती है ..
दिल चहकना चाहता है चिड़िया सा
महकना चाहता है बगिया सा
बहना चाहता है दरिया सा ..
और तुम ..ठहरते ही नहीं
तुम्हे भी नया साल ..
नया समय मुबारक ..
समय की ये नदी यूँही बहती रहे अनवरत
बधाई और शुभकामनाओं का सिलसिला चलता रहे सतत
जीवनधार पर कश्ती बन लहर लहर लहरती रहे आकांक्षाये
"मंगलमय हार्दिक शुभकामनाये..
तुम्हारे लिए ही भेज रही हूँ ."-- विजयलक्ष्मी





1 comment:

  1. बहुत सुन्दर !
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |

    नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
    नई पोस्ट विचित्र प्रकृति

    ReplyDelete