आब औ हवा देश की लगती बीमार है ,
आम मरता है या ख़ास ठण्ड की मार है
कानून मंत्री कानून नहीं जनता सदाचार का
अर्थशास्त्री हाथ औ दिमाग से तंग हाल है
मतलब परस्ती किसी की मौका परस्ती बनी
नेता लूट रहे है देश को ,गरीब हुए बेजार है
आचरण का व्याकरण खुद भूल सबको समझाते हैं
भूलकर मर्यादा सारी चढ़ा चुनाव का बुखार है
मौसम करवट बदल भी ले तो गजब कैसा
हिंदुस्तान की राजनीति तो अल्लाह सरकार है .-- विजयलक्ष्मी
आम मरता है या ख़ास ठण्ड की मार है
कानून मंत्री कानून नहीं जनता सदाचार का
अर्थशास्त्री हाथ औ दिमाग से तंग हाल है
मतलब परस्ती किसी की मौका परस्ती बनी
नेता लूट रहे है देश को ,गरीब हुए बेजार है
आचरण का व्याकरण खुद भूल सबको समझाते हैं
भूलकर मर्यादा सारी चढ़ा चुनाव का बुखार है
मौसम करवट बदल भी ले तो गजब कैसा
हिंदुस्तान की राजनीति तो अल्लाह सरकार है .-- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment