Monday, 1 October 2012

कोई वजह तो होगी ...

"सियासत का रास्ता काश ! ईमान से गुजरता ,
सर को यूँ झुकाने की शायद आदत न होगी .
समझते जो बेवफा हमको,समझने का शुक्रिया, 
अच्छा है रास्तों के साथ की दरकार न होगी .
तोड़ डालो  वो आइना भी लिखा जिसपे नाम है ,
दर्द ए इनायत फरमाने की शिकायत न होगी .
नगमा ए दर्द छोड़ भौरों संग कहदो गुनगुना ले ,
चमन को भी वीरानगी की कभी आदत न होगी . 
शबनम को पलकों पर ढलक जाने दो हमारी ,
तेरे लबों को मुस्कुराने की, कोई वजह तो होगी."- विजयलक्ष्मी 

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