जब कुछ जीवन के फलसफे अनछुए से रह जाते है... आँखों की सरहद पर शबनमी मोती बिखर जाते है, घिरती है जब जमीं सहरा के समन्दर से दूर तलक , कोई अंकुरण फिर पनप जाये ,मगर आसान भी नहीं . जिंदगी थमती नहीं मगर ,उजड कर भी बसती है अगर ... अपने सूरज के साथ जिंदगी नृत्य करती जरूर है .-- विजयलक्ष्मी
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