अंधेरों के खौफ से चलो घर में बैठ जाये ...
है कौन सी जगह बता ,जहाँ अँधेरे न आने पाए .-- विजयलक्ष्मी
आजमाइशें न हों जिंदगी वीरान ही मिलेगी ,
किसी भी राह को कभी मंजिल नहीं मिलेगी .-विजयलक्ष्मी
कुछ शक्ल ओ शरारते कयामत लाती तो है मगर ,
रखना ख्याल वो राह में छोड़ कर मुकर भी जाती है अक्सर .-- विजयलक्ष्मी
मुश्किलें यही है कि दिल आइना सा है दिमाग सोचता बहुत ,
अन्धरें में अक्स और रोशन हुए विचार तूफ़ान बहुत लाते है ..-- विजयलक्ष्मी
यहाँ अब कोई नहीं आयेगा ..बस दिल ही दिल को समझायेगा ,
कोई भी न जान पायेगा ..दिल बंजारा भी शायद सम्भल जायेगा .-- विजयलक्ष्मी
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