सैलाब गर उठा जो अपने पूरे उफान पर ..
कहना न फिर नजर लग गयी तूफ़ान पर
बह जायेगीं लहरें किनोरों को तोड़ कर
कदमों तले जमी न मिलेगी उठान पर
रहने दे थमा सागर को न देख क्या होगा
जज्बा ए सुनामी न रख दे घर उजाड कर
अमीत जिंदगी मिटा जाती है लहरें गर
जन्म भी कम पडेगा कैसे रखेंगे सम्भाल कर .-विजयलक्ष्मी
कहना न फिर नजर लग गयी तूफ़ान पर
बह जायेगीं लहरें किनोरों को तोड़ कर
कदमों तले जमी न मिलेगी उठान पर
रहने दे थमा सागर को न देख क्या होगा
जज्बा ए सुनामी न रख दे घर उजाड कर
अमीत जिंदगी मिटा जाती है लहरें गर
जन्म भी कम पडेगा कैसे रखेंगे सम्भाल कर .-विजयलक्ष्मी
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