खामोशियाँ मैरी फसाना दुनिया का ..
क्या शातिराना अंदाज दुनिया का
चकनाचूर करना अंदाज दुनियां का
सपना मैरी आँखों न भाना दुनिया का
कुछ भी करे न करे कोई यहाँ पर कोई
किस्मत आजमाना यहाँ दुनिया का
मुस्कुराहट भी मंजूर नहीं उसको मैरी
उसे भी छीन जाना दुनिया का
खतरा दर कदम कहाँ नहीं होता अमीत
सहरा सा समंदर हमें बनाना दुनिया का
मंजिल मैरी नज़रों के सामने रही पल पल
मगर मुझसे ले जाना दुनिया का
मौत को बुलाना चाह हैं अब हमने ..
सब छीनकर भी साथ न देना दुनिया का .-विजयलक्ष्मी
क्या शातिराना अंदाज दुनिया का
चकनाचूर करना अंदाज दुनियां का
सपना मैरी आँखों न भाना दुनिया का
कुछ भी करे न करे कोई यहाँ पर कोई
किस्मत आजमाना यहाँ दुनिया का
मुस्कुराहट भी मंजूर नहीं उसको मैरी
उसे भी छीन जाना दुनिया का
खतरा दर कदम कहाँ नहीं होता अमीत
सहरा सा समंदर हमें बनाना दुनिया का
मंजिल मैरी नज़रों के सामने रही पल पल
मगर मुझसे ले जाना दुनिया का
मौत को बुलाना चाह हैं अब हमने ..
सब छीनकर भी साथ न देना दुनिया का .-विजयलक्ष्मी
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