Sunday 22 May 2016

" क्यूँ करते हो अंतर पति पुत्र भाई में ,,पुरुष बस पुरुष अहो "

" मैं पायल चूडियो के गीत नहीं गाती ,,
मैं प्रेम अगन के बीज खेत में नहीं उगाती 
मन्दिर-मस्जिद के झगड़े को संस्कार बना देखो
अपने पुरखों के जीवन इतिहास उठा देखो
कर्तव्य पथ पर बढ़ते कदमों को मत रोको
देशप्रेम के बढ़ते पथ पर मत टोको
भरने दो हुंकार वतन के दुश्मन की जानिब
इमां में ईमान भरे बने इंसान इंसान की खातिर
क्या संगीनों के साये में धर्म पला करते हैं
उनमे भी आग दबी होगी जो बन्द्कों से डरा करते हैं
मत खींचों नफरत की खाई भारत माता के नाम पर
ईमान यदि सच्चा है... क़ुरबानी हो वतन के नाम पर
गौमाता हन्ता सुनो गर तुम गौमाता को जीव कहो ..
क्यूँ करते हो अंतर पति पुत्र भाई में ,,पुरुष बस पुरुष अहो
है तपिश मेरे अंगना में उगते सूरज की आती
धर्मयुक्त जीवन शैली वैज्ञानिक कहकर अपनाती
सूरज की किरणों में तुमने " ॐ " तपस्या को समझा होता
राम नहीं असत्य इस सत्य को परखा होता
समय-धारा में स्खलित सत्य को पहचानना होगा ...
सत्य नहीं बदलता कभी तत्व को मानना होगा
"-------- विजयलक्ष्मी

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 24 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. बहुत ओज़स्वी रचना ... अपने इतिहास, अपने गौरव को मानने में कैसी शर्म ...

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  3. यथार्थ की किरचों को समेटे भारत दर्शन कराती बेमिशाल लेखनी को नमन .......बिलकुल दर्पण है आपका लेखन बधाई

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