दहककर महकता है यूँभी जज्बात का रंग ,
देखना उड़ न जाये किसी मुलाकात का रंग.
न हो मिलाने से हाथ उतर जाये हाथों में ही
न हो कच्चा हमारी दोस्ती के साथ का रंग ,
अपनी बस्ती तेरे भीगे से ख़्वाबों में बसी है
वो खत सम्भालों बया है मेरे जज्बात का रंग
तेरी आँखों के समन्दर में लहर लहर भीगे
रूहानी स्नान लगता है अश्क ए बरसात का रंग
तेरे शहर को शहर ए मुहब्बत कहूं कैसे बता
अलामत मलानत संग किस-किस ख्यालात का रंग
इश्क ए खुदा औ इबादत से बेहतर मिले गर
चढ़ा लो अपने आप पे तुम भी उसी जात का रंग .-- विजयलक्ष्मी
देखना उड़ न जाये किसी मुलाकात का रंग.
न हो मिलाने से हाथ उतर जाये हाथों में ही
न हो कच्चा हमारी दोस्ती के साथ का रंग ,
अपनी बस्ती तेरे भीगे से ख़्वाबों में बसी है
वो खत सम्भालों बया है मेरे जज्बात का रंग
तेरी आँखों के समन्दर में लहर लहर भीगे
रूहानी स्नान लगता है अश्क ए बरसात का रंग
तेरे शहर को शहर ए मुहब्बत कहूं कैसे बता
अलामत मलानत संग किस-किस ख्यालात का रंग
इश्क ए खुदा औ इबादत से बेहतर मिले गर
चढ़ा लो अपने आप पे तुम भी उसी जात का रंग .-- विजयलक्ष्मी
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