जयहिंद !!!!!!
प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी .."शहीद मंगल पाण्डेय " के जन्मदिवस पर कोटिश: नमन !!
संघर्ष ही जीवन बनाया जन्म से मरण तक
सूखी बंजर धरा को सींचना सिखाया लहू से
आजकल मरते हैं क्यूँ किसान भूख से गर शिलालेख पटे हैं सरकारी नियामत से
गिरते होंगे आंसू ,,ईमान पर तौलिये दर औ दरीचे सजे हैं जिनके लहू से
स्वतन्त्रता का दीप जलाया और जीवन किया निसार
कैसी ख़ूबसूरत जिन्दगी आरामतलब कहाँ ,निगाह ए तलब बसी लहू में
राष्ट्र के नाम लिखा ईमान और लुटा दिया धडकनों को माँ भारती पर
आंचल में मिला ढोए जख्म जिन्होंने अपने लहू से
प्रथम युद्ध की रणभेरी बजाई उगलती आग में जले
कोटिश: नमन तुम्हे सपूत माँ भारती के स्वतन्त्रता की होली खेली लहू से --- विजयलक्ष्मी
प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी .."शहीद मंगल पाण्डेय " के जन्मदिवस पर कोटिश: नमन !!
संघर्ष ही जीवन बनाया जन्म से मरण तक
सूखी बंजर धरा को सींचना सिखाया लहू से
आजकल मरते हैं क्यूँ किसान भूख से गर शिलालेख पटे हैं सरकारी नियामत से
गिरते होंगे आंसू ,,ईमान पर तौलिये दर औ दरीचे सजे हैं जिनके लहू से
स्वतन्त्रता का दीप जलाया और जीवन किया निसार
कैसी ख़ूबसूरत जिन्दगी आरामतलब कहाँ ,निगाह ए तलब बसी लहू में
राष्ट्र के नाम लिखा ईमान और लुटा दिया धडकनों को माँ भारती पर
आंचल में मिला ढोए जख्म जिन्होंने अपने लहू से
प्रथम युद्ध की रणभेरी बजाई उगलती आग में जले
कोटिश: नमन तुम्हे सपूत माँ भारती के स्वतन्त्रता की होली खेली लहू से --- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment