"आवाज तो दबकर रह गयी शोर में ,
मगर देशराग गूंजता है नफस नफस ||
चिरैया को कैद कर सैयाद खुश हुआ
तोता तो कैद में बैठा कफस कफस ||
कटते हुए जंगल परेशां इंसान क्यूँ
खाली खोपड़ी की कौन हवस हवस ||
उडती तश्तरी तेरे शहर की तलाश में
कब्र में भी जिन्दा बैठे तरस तरस ||
सुलगते जज्बात भीगी अगरबत्ती से
गिरते रहे हम बादलों से बरस बरस || "---- विजयलक्ष्मी
मगर देशराग गूंजता है नफस नफस ||
चिरैया को कैद कर सैयाद खुश हुआ
तोता तो कैद में बैठा कफस कफस ||
कटते हुए जंगल परेशां इंसान क्यूँ
खाली खोपड़ी की कौन हवस हवस ||
उडती तश्तरी तेरे शहर की तलाश में
कब्र में भी जिन्दा बैठे तरस तरस ||
सुलगते जज्बात भीगी अगरबत्ती से
गिरते रहे हम बादलों से बरस बरस || "---- विजयलक्ष्मी
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