Friday, 18 July 2014

वो एक आखिरी दिन ...

वो एक आखिरी दिन 
जब मुकम्मल होगा 
खूबसूरत नजारा नजरों में बया होगा ..

उसी एक आखिरी दिन 
ए जिन्दगी इतनी मोहलत की जरूरत भी क्या थी ,
तेरी अमानत है ...उठा ले जब जी चाहे तेरा 
वक्त लम्बा तो बहुत है अनजान सी हैं राहे 

उसी आखिरी दिन 
बहुत रंज हुआ अभी दिन बकाया है मिलन के ,
उम्र ए इन्तजार कुछ ज्यादा ही हो गया हमारा
कुछ तो कट गया.. कट ही जायेगा वक्त बकाया

उसी इक आखिरी दिन
जिसके इंतजार में हो तुम
जश्न की रात होगी वो जिसे रौशन करेंगे सितारे ,
छोडकर धरती ,,हम भी आसमाँ के बनेगे प्यारे
एतबार पे हैं जिन्दा समझ लेना ए जिन्दगी

उसी इक आखिरी दिन
जिसकी तलाश है
कटते रहे दिन सब हद ए इन्तजार में ,
बदला नजारा कटेंगे उम्र ए इंतजार में
वक्त की धार पर होकर सवार चल पड़े

उसी एक आखिरी दिन
हूँ सफर पर
शुक्रिया अता करने को पास अल्फाज नहीं है ,
ए हद ए इंतजार...सुन, तेरे मोहताज नहीं हैं.
महकते से लम्हात हैं शिकस्ता हालात नहीं है
उसी एक आखिरी दिन ... --- विजयलक्ष्मी

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