उदासी के तेल से याद का इक दीपक जला लिया जाये ,
जलती हुयी लौ को देखकर क्यूँ न मुस्कुरा लिया जाये .- विजयलक्ष्मी
कोई भी दोस्त कभी यूँही बे-वफा नहीं होता ,
जाने वफा का कौनसा वादा यूँ निभाया होगा .--विजयलक्ष्मी
बेजुबाँ अहसास बोलते नहीं ,किसी और का ढंग तौलते नहीं ,
जिन्दगी कैसी भी राह चले चलते हैं संग ही कभी डोलते नहीं .- विजयलक्ष्मी
नगमा औ साज भी सजता है अहसास के साथ ,
जिन्दगी का हर लम्हा रंगता है अहसास के साथ
यादे किसको कहूं कैसे याद दिलाऊँ याद को भी ...
महफिलों में यादे के दीप जलते है अहसास के साथ .-- विजयलक्ष्मी
किसी शबनमी शरारे की शरारत भी याद है ,
भूली हुयी सी दुनिया की दस्तक भी याद है ,
बीतते हुए पलो का घुलना लहू सा मुझमे ...
न होकर भी होना तेरा ,भला ये कैसी याद है.- विजयलक्ष्मी
जलती हुयी लौ को देखकर क्यूँ न मुस्कुरा लिया जाये .- विजयलक्ष्मी
कोई भी दोस्त कभी यूँही बे-वफा नहीं होता ,
जाने वफा का कौनसा वादा यूँ निभाया होगा .--विजयलक्ष्मी
बेजुबाँ अहसास बोलते नहीं ,किसी और का ढंग तौलते नहीं ,
जिन्दगी कैसी भी राह चले चलते हैं संग ही कभी डोलते नहीं .- विजयलक्ष्मी
नगमा औ साज भी सजता है अहसास के साथ ,
जिन्दगी का हर लम्हा रंगता है अहसास के साथ
यादे किसको कहूं कैसे याद दिलाऊँ याद को भी ...
महफिलों में यादे के दीप जलते है अहसास के साथ .-- विजयलक्ष्मी
किसी शबनमी शरारे की शरारत भी याद है ,
भूली हुयी सी दुनिया की दस्तक भी याद है ,
बीतते हुए पलो का घुलना लहू सा मुझमे ...
न होकर भी होना तेरा ,भला ये कैसी याद है.- विजयलक्ष्मी
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