मौसम को खबर न देना हमारी पलको की नमी की ,
दिखाने दो तेवर , शिकायत भी नहीं धुप की कमी की .
-- विजयलक्ष्मी
लिखकर लिखूं क्या मेरे शब्द तो पैबंद भी नहीं है ,
खुदा का नाम लिया उन्ही से जो पाबन्द भी नहीं हैं .
- विजयलक्ष्मी
दुश्वारियों का क्या राह में खड़ी मिलती रही सदा ,
मतवाले से हम भी ..चलते रहे कदम दर कदम ,- विजयलक्ष्मी
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