जीवन राग बजे रुनझुन पतझड़-वसंत तो आना है ,
चलता रहता समय का पहिया ,सबको ही जाना है .
कुछ पल का हंसना हंसाना , कुछ पल रोना गाना है
जीवनमरण ये खेल अनूठा किसने भला पहचाना है
राग-द्वेष खेला पलभर का समय तो आना जाना है
हार-जीत का खेल नहीं अब क्या खोना क्या पाना है
सुन चमक चांदनी धूप सुनहली मेरे आंगन आना है
कोई अँधेरा बचे न बाकी सबकुछ रोशन कर जाना है -- विजयलक्ष्मी
चलता रहता समय का पहिया ,सबको ही जाना है .
कुछ पल का हंसना हंसाना , कुछ पल रोना गाना है
जीवनमरण ये खेल अनूठा किसने भला पहचाना है
राग-द्वेष खेला पलभर का समय तो आना जाना है
हार-जीत का खेल नहीं अब क्या खोना क्या पाना है
सुन चमक चांदनी धूप सुनहली मेरे आंगन आना है
कोई अँधेरा बचे न बाकी सबकुछ रोशन कर जाना है -- विजयलक्ष्मी
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