न मालूम इश्क किये होता है कि हुए होता आप ,,
बीमार ए इश्क बताये कोई ,क्या है इसका राज --- विजयलक्ष्मी
बीमार ए इश्क बताये कोई ,क्या है इसका राज --- विजयलक्ष्मी
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तकदीर में जुदाई तस्वीर से नदारत ,,
तासीर में शामिल वफाओ की तरह ||
तासीर में शामिल वफाओ की तरह ||
वाह री मुह्हबत दर्द ओ सितम तेरे ,,
क्यूँ लगते हैं भले अदाओं की तरह ||
क्यूँ लगते हैं भले अदाओं की तरह ||
रुसवाइयों के चलते खामोश सिसकियाँ ,,
खुदाई नियामत सुने गुनाहों की तरह ||
खुदाई नियामत सुने गुनाहों की तरह ||
अजब दास्ताँ है बिछड़ कर न बिछड़े ,,
साथ रहती है पलपल दुआओं की तरह ||
साथ रहती है पलपल दुआओं की तरह ||
गजब घरौंदा है गूंगे के गुड की मिठास ,,
खनकती है हर बात फिजाओं की तरह || --------- विजयलक्ष्मी
खनकती है हर बात फिजाओं की तरह || --------- विजयलक्ष्मी
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वाह ,,अजब दास्ताँ खुदाई नियामत की हद ज्यूँ
खुशामदीद बेहतर भला खुशामद की आमद क्यूँ ? ---- विजयलक्ष्मी
खुशामदीद बेहतर भला खुशामद की आमद क्यूँ ? ---- विजयलक्ष्मी
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जिसमे खुशामद भरी हो स्वार्थ के अंश लगते शामिल ,,
मुहब्बत की तासीर हवाओं में घुल होती आप शामिल || --------- विजयलक्ष्मी
मुहब्बत की तासीर हवाओं में घुल होती आप शामिल || --------- विजयलक्ष्मी
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खुदाई नियामत है तो तकदीर क्यूँ सोती देखी ,,
फिर ,,गम ए इश्क में जिन्दगी क्यूँ रोती देखी ,,|| ---------- विजयलक्ष्मी
फिर ,,गम ए इश्क में जिन्दगी क्यूँ रोती देखी ,,|| ---------- विजयलक्ष्मी
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