क्या कहते जख्म कुरेदा उसने ..
मरहम भी हर बार भेजा उसने .
रिसने लगा खुद में लहू सा जब ..
मैं जाता है यही खत भेजा उसने.
गम का आसमां लिए है सर पे ..
आंचल सितारों का भेजा उसने .
पैबंद हुए थे हम जहाँ टाट के से ..
पर्दा हर बार रेशम का भेजा उसने .
रंग ए जुनूं सा है बाकी कुछ नहीं ,
तू खुदा है ,पैगाम यही भेजा उसने
मरता ही गैरतमन्द है सदा से ..
हाथों में फिर खंजर सहेजा उसने .
जख्म कितने , मुश्किल गिनना..
पयाम मुस्कुराहट ही भेजा उसने .-- विजयलक्ष्मी
मरहम भी हर बार भेजा उसने .
रिसने लगा खुद में लहू सा जब ..
मैं जाता है यही खत भेजा उसने.
गम का आसमां लिए है सर पे ..
आंचल सितारों का भेजा उसने .
पैबंद हुए थे हम जहाँ टाट के से ..
पर्दा हर बार रेशम का भेजा उसने .
रंग ए जुनूं सा है बाकी कुछ नहीं ,
तू खुदा है ,पैगाम यही भेजा उसने
मरता ही गैरतमन्द है सदा से ..
हाथों में फिर खंजर सहेजा उसने .
जख्म कितने , मुश्किल गिनना..
पयाम मुस्कुराहट ही भेजा उसने .-- विजयलक्ष्मी
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