जब ही गुजरता है वो गली से मेरी ,
न उठे नामुराद नजर,कोशिश है जरूर |
सुबह हो तो सूरज सा, रात को चंदमा,
धरती सी परिक्रमा हो कोशिश है जरूर |
लौटना है ,बार बार उसी ठौर तुम्हे भी ,
बदलें न मौसम सा यूँ ,कोशिश है जरूर |
चाह सितारों सा, गिरे टूटके किनारों से,
साँझ हो भोर सी रोशन,कोशिश है जरूर |
अटके भंवर में, किश्तों में डूबे सूखे गुंचे,
विवश न हो विश्वास कभी कोशिश है जरूर| -- विजयलक्ष्मी
न उठे नामुराद नजर,कोशिश है जरूर |
सुबह हो तो सूरज सा, रात को चंदमा,
धरती सी परिक्रमा हो कोशिश है जरूर |
लौटना है ,बार बार उसी ठौर तुम्हे भी ,
बदलें न मौसम सा यूँ ,कोशिश है जरूर |
चाह सितारों सा, गिरे टूटके किनारों से,
साँझ हो भोर सी रोशन,कोशिश है जरूर |
अटके भंवर में, किश्तों में डूबे सूखे गुंचे,
विवश न हो विश्वास कभी कोशिश है जरूर| -- विजयलक्ष्मी
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