"दोस्ती न रेत है न पत्थर है ..
बस एक है यकीं बाकी गर है "..विजयलक्ष्मी
"दोस्ती निभानी तो आइना बन जाओ ,
न डर होगा खुदी से ,,सीधे रास्ते चलते चले जाओ "..विजयलक्ष्मी
"न तमन्ना ए दौलत है न शौहरत की है ख्वाहिशें ,
दोस्ती सच्ची हों तो जिंदगी की खत्म होती है ख्वाहिशें" ...- विजयलक्ष्मी
"ये दुनिया मतलबी है बहुत दिल दुखाकर हंसती है ,
मरहम सत्य का सदा से ही सच्ची दोस्ती रखती है" ..- विजयलक्ष्मी
"और रंगों को न बांधों एक ही रंग में ,
दोस्ती का रिश्ता ही बंधता है हर रंग में "..विजयलक्ष्मी
"यहाँ हर रंग को एक है पैमाने में मापते है ,
रंग ए दुनिया कुछ हों हम दोस्ती पे आंकते हैं" ..-- विजयलक्ष्मी
"आइना हों यही एक रंग भाता है हमको ,
खुद को आईने में ही देखना आता है हमको "..-- विजयलक्ष्मी
"जिंदगी में रिश्ता ए दोस्ती तेरे नाम लिख दिया ,
दोस्ती के हलफनामे पे तेरा ही नाम लिख दिया "..विजयलक्ष्मी
"अर्पण समर्पण सब बौने हों गए ,
दोस्त जब से हम दोनों हों गए" ..विजयलक्ष्मी
"बहुत अजीज है तेरी दोस्ती हमको ,
दुनिया क्या समझेगी क्यूँ भाती है ये दोस्ती हमको" ..विजयलक्ष्मी
"दोस्ती में भूल जाने का डर नहीं होता ,
दोस्त गर सच्चा है तो कभी नहीं खोता" ..विजयलक्ष्मी
"कुछ महफिलें लालच पे टिकी होती है ,,,
यहाँ कुछ भी नहीं बाकी, दोस्ती का दौर है "...विजयलक्ष्मी
बस एक है यकीं बाकी गर है "..विजयलक्ष्मी
"दोस्ती निभानी तो आइना बन जाओ ,
न डर होगा खुदी से ,,सीधे रास्ते चलते चले जाओ "..विजयलक्ष्मी
"न तमन्ना ए दौलत है न शौहरत की है ख्वाहिशें ,
दोस्ती सच्ची हों तो जिंदगी की खत्म होती है ख्वाहिशें" ...- विजयलक्ष्मी
"ये दुनिया मतलबी है बहुत दिल दुखाकर हंसती है ,
मरहम सत्य का सदा से ही सच्ची दोस्ती रखती है" ..- विजयलक्ष्मी
"और रंगों को न बांधों एक ही रंग में ,
दोस्ती का रिश्ता ही बंधता है हर रंग में "..विजयलक्ष्मी
"यहाँ हर रंग को एक है पैमाने में मापते है ,
रंग ए दुनिया कुछ हों हम दोस्ती पे आंकते हैं" ..-- विजयलक्ष्मी
"आइना हों यही एक रंग भाता है हमको ,
खुद को आईने में ही देखना आता है हमको "..-- विजयलक्ष्मी
"जिंदगी में रिश्ता ए दोस्ती तेरे नाम लिख दिया ,
दोस्ती के हलफनामे पे तेरा ही नाम लिख दिया "..विजयलक्ष्मी
"अर्पण समर्पण सब बौने हों गए ,
दोस्त जब से हम दोनों हों गए" ..विजयलक्ष्मी
"बहुत अजीज है तेरी दोस्ती हमको ,
दुनिया क्या समझेगी क्यूँ भाती है ये दोस्ती हमको" ..विजयलक्ष्मी
"दोस्ती में भूल जाने का डर नहीं होता ,
दोस्त गर सच्चा है तो कभी नहीं खोता" ..विजयलक्ष्मी
"कुछ महफिलें लालच पे टिकी होती है ,,,
यहाँ कुछ भी नहीं बाकी, दोस्ती का दौर है "...विजयलक्ष्मी
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