दीवारों पर चित्र न लगा मेरे ,
मैं कोई खुदा भी नहीं हूँ ,
चरित्र जीने की कोशिश में हूँ ,
मैं तुझसे जुदा भी नहीं हूँ .
क्यूँ दीप जला नाम लेके मेरा
मैं कोई इबादत भी नहीं हूँ
.
थोडा सा रोशन होना चाहते हैं .
मैं शम्स औ सवेरा भी नहीं हूँ .
पहचान वजूद अपना ए जिंदगी ,
मैं खुद का बसेरा भी नहीं हूँ ...विजयलक्ष्मी
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