Friday, 1 March 2013

आइना पूछता है कौन हों तुम ह्मीसे ..




दिल ए हालात अब सम्भलते नहीं है,
 
डूबे है इस कदर ,अब उबरते नहीं है .

आइना पूछता है ,कौन हों तुम ह्मीसे ,
हालात भी शायद,अब सुधरते नहीं हैं.

काटती है चुप्पी बता इस कदर क्यूँ ,
चीखते हुए शब्द भी,अब सुनते नहीं हैं.

लाइलाज घोषित किया जा चुका अब ,
शफाखानो में नुस्खे ,अब मिलते नहीं है. 

है राह ए मुहब्बत कंटीली सी पता था ,
गुलिस्ताँ तुम बिन ,अब महकते नहीं हैं .

...विजयलक्ष्मी 

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