"सहर होने को है ,
बता सूरज को आवाज लगाऊँ कैसे .
परेशान है वक्त ,
तुमको घर से बता अब बुलाऊं कैसे .
क्या भूल जाओगे ,
गर भूल चुके बता याद दिलाऊँ कैसे .
कशमकश है क्यूँ ,
परेशां हाल दिल है ढांढस बँधाऊँ कैसे.
खोया न करो तुम !!
निकल घर से ढूँढकर तुम्हे लाऊँ कैसे."-विजयलक्ष्मी
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