"चाहते तो सब है ईसा का दुनिया में आना ,
घर मेरे आये तो सहेंगे कैसे बेटे का सूली चढ जाना .
चाहते तो सब है दुनिया का बदल जाना ,
घर सूना न हों इसलिए ईसा मेरे घर मत आ जाना .
चाहते तो सब है सबका मिलकर रह पाना,
घर से किसके हों शुरुआत ,कौन चाहेगा अपनाना ".
-- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment