Tuesday, 4 December 2012

क्या मिला इस तरह दिल दुखाकर ..

















लीजिए हमारे एकाउंट को खोलने के लिए भी लीजिए शब्दों की माला ...
..
खाता खोलने की कोशिशे क्यूँ बेकार में कष्ट किया .
जो पूछना है ,वो तो पूछ लेते हमसे सामने आकर .
क्या मिल जायेगा बोल इस तरह से नजरे छिपाकर .
हमसे कुछ न पायगा कभी भी इस तरह से आकर .
क्या लाभ मिला या खुशी बता दे ,अब तो आकर .
राज नहीं खोलेंगे हम कुछ नहीं बोलेंगे ,समझाकर .
अब तो बता दे क्या मिला इस तरह दिल दुखाकर. - विजयलक्ष्मी

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