न पूछ मुझसे यूँ बार बार कयामत हों जायेगी ,
सोच ले इक बार फिर ये जिंदगी किधर जायेगी .
यहाँ बहुत है जो तस्वीर के दीवाने हुए फिरते हैं ,
रुखसत जो खुशी हुयी, बारात ए गम किधर जायेगी.
सोच ले ....
डूब जायेगा सफीना भी जब कभी ,ए जिंदगी बता ,
टूटी पतवार लिए ,कि टकराकर तू भी किधर जायेगी .
सोच ले ..
मान जा कहना मेरा आज भी वक्त अभी काफी है ,
एकबार जो उतरी आसमाँ से सितारों की कसम सिहर जायेगी .
सोच ले ....
फिर न कहना , आगाज ए कयामत , यूँ मालूम न था,
लौटना मुश्किल न हों जाये कहीं मौत ए कब्र संवर जायेगी
सोच ले इक बार फिर ये जिंदगी किधर जायेगी .
यहाँ बहुत है जो तस्वीर के दीवाने हुए फिरते हैं ,
रुखसत जो खुशी हुयी, बारात ए गम किधर जायेगी.
सोच ले ....
डूब जायेगा सफीना भी जब कभी ,ए जिंदगी बता ,
टूटी पतवार लिए ,कि टकराकर तू भी किधर जायेगी .
सोच ले ..
मान जा कहना मेरा आज भी वक्त अभी काफी है ,
एकबार जो उतरी आसमाँ से सितारों की कसम सिहर जायेगी .
सोच ले ....
फिर न कहना , आगाज ए कयामत , यूँ मालूम न था,
लौटना मुश्किल न हों जाये कहीं मौत ए कब्र संवर जायेगी
.- विजयलक्ष्मी
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