Monday 17 December 2012

दूध पीकर बड़े हुए जिस गाय का खुद ही ....

"वादे मुबारक और जज्बात बदल जाते हैं ,
माटी के पुतले क्यूँ नहीं माटी में बदल जाते है ,"

"माटी से निकाल माटी पुतले ही बना जाते हैं ,
जब कोई पार न बसी तो उन्हें खुदा बता जाते हैं ."

"भूख से बिलखते बच्चे नहीं दिखते जिनको ,
उन अमीरों की गोद में कुत्ते औलाद बन जाते हैं."

"दूध पीकर बड़े हुए जिस गाय का खुद ही ,
आखिर में उसी को खुद कसाई को बेच आते हैं ."

"जन्म देकर शायद गुनाह किया था जिन्होंने ,
वो जन्मदाता भी बेटों पर ही बोझ बन जाते हैं ."

"गिरगिट सा रंग बदलने की बात क्या करना ,
पलभर में खुदा औ यमराज सा रंग बदल जाते है
.
"
- विजयलक्ष्मी

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