Thursday, 24 December 2015

" कैसे कहूँ मेरी क्रिसमस,,"

" बड़ा दिन " ( भारत का सबसे छोटा दिन )
स्वीकारो  इस सच को 
क्या तुमने उतारा कभी सूली से आजतक भी
बताओ ..सोचो तो
कैसे कहूँ मेरी क्रिसमस,,
जब कुंवारी औरत के माँ बनने पर सूली बनती हो हरबार इक नई
सत्य तो सूली पर ही चढ़ा है सदा से
झूठ ने कंधा दिया हर बार है
ईसा चढ़े जब से उतारा नहीं आजतक किसी ने भी
पहले मौत का जश्न होगा फिर जिन्दा होने का स्वांग
जिन्दे को मारते रहे ..मारकर पूजते हैं बताकर भगवान
वाह रे तेरी माया निराली है इंसान .---------------- विजयलक्ष्मी



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